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ज्ञान धारा ( लघु कथा )

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                                             बुद्धम शरणम गच्छामि एक बार भगवान बुद्ध से उनके शिष्य आनंद ने पूछा- ‘भगवन्! जब आप प्रवचन देते हैं तो सुनने वाले नीचे बैठते हैं और आप ऊंचे आसन पर बैठते हैं, ऐसा क्यों?’ भगवान बुद्ध बोले- ‘ये बताओ कि पानी झरने के ऊपर खड़े होकर पिया जाता है या नीचे जाकर?’ आनंद ने उत्तर दिया- ‘झरने का पानी ऊंचाई से गिरता है. अतः उसके नीचे जाकर ही पानी पिया जा सकता है.’ भगवान बुद्ध ने कहा- ‘तो फिर यदि प्यासे को संतुष्ट करना है तो झरने को ऊंचाई से ही बहना होगा न?’ आनंद ने ‘हां में उत्तर दिया.’ यह सुनकर भगवान बुद्ध बोले- ‘आनंद! ठीक इसी तरह यदि तुम्हें किसी से कुछ पाना है तो स्वयं को नीचे लाकर ही प्राप्त कर सकते हो और तुम्हें देने के लिए दाता को भी ऊपर खड़ा होना होगा. यदि तुम समर्पण के लिए तैयार हो तो तुम एक ऐसे सागर में बदल जाओगे, जो ज्ञान की सभी धाराओं को अपने में समेट लेता है.’ लेखक - अज्ञात 

2021 में गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि और बैंजो की कहानी..........

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               🇮🇳🇮🇳 गणतंत्र दिवस की बधाई 🇮🇳🇮🇳 बैंजो  ने अपने परिवार को 2020 में जैसे पतंग कटती है  ठीक वैसे ही अलविदा किया और उसके परिवार ने 2020 को भी दर्द में भुला दिया। अब आया नया साल जिसे कुछ लोग अंग्रेज़ी का न्यू ईयर कहने में पीछे नहीं हटते और बहुत से दृढ़ लोग ऐसे - ऐसे संकल्प ले रहे थे जिसे कल्पना से परे कहना एक उचित तरीका है।  नए साल का रस लोगो में से धीरे - धीरे कम होता जा रहा है जैसे मोदी को देख कुछ बुसलमानो का और मायावती को देख कुछ मंडितो का खून कम होता है। मेरा कहने का मतलब वही है जो आप समझ पा रहे हैं यकीनन आप समझदार है और एक बेहतरीन दार्शनिक कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है। फोर्ब्स ने 2021 के विश्व के अमीरों की सूची निकाली जिसमे पहले पायदान पर ऐसा शख़्स है जो मंगल ग्रह पर दुनिया बसाने की बात करता है शायद कोई पागल होगा लेकिन दुख तो तब हुआ जब सूची में भारत का कोई भी व्यक्ति नहीं जबकि सबका साथ सबका विकास चलता आ रहा है। अब सुनने में कहीं से ये आ रहा है कि भारत के 72 वे गणतंत्र दिवस पर इंग्लैंड के प्रध...

गज़ल ❤️

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           तस्वीर - "द ऑडियंस" ( 1991 ) जेम्स हॉफमैन             ✒️...............मेरी कलम से.................✒️            © नितिन पांडेय  Connect with me on Facebook   Instagram Twitter

🌾 राष्ट्रीय किसान दिवस 🌾

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                                        🌾राष्ट्रीय किसान दिवस 🌾 किताबों मे सिलाई का धागा हूं अब बेटी नहीं हूं माटी की चिड़िया हूं अब ज़मीन पर पेड़ो की__लाशे देखकर न जाने क्यूं _आंधी से डरता हूं अब पानी की बोतल में रहता था कभी तुझसे मिला तो डूबा दरिया हूं अब मुसव्वरी तो कब की छोड़ दी मैंने ( मुसव्वरी - पेंटिंग ) सूखी पत्तियों में रंग भरता हूं अब इल्म नहीं खेती की ए बी सी डी का मैं तो शायद गेहूं से भी सस्ता हूं अब ©Nitin Pandey 🎭 तस्वीर - जितेंद्र गायकवाड आर्टवर्क 🎨 Connect with me on Facebook   Instagram Twitter

Dream Connection with PUBG

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At Pochinki I was feeling as at home. Before landing there my name was Andrew , a boy having messed hair of black colour but I was a  brown boy. Anyhow I landed there with my team. Everyone was busy on loot and I was sleeping in one corner of the circular house. Time to time candidates are dying. Some are suffering from heart disease and most of them are patients of Diabetes. Among 100 players 4 are Veggei but they are on mission of chiken dinner, guess why is it so ? it is because everyone is in virtual world.  As we know there is a pure world exists in a game. We all are the players of that game without knowing 1 % about it.  This game which I’m playing since 1108 hours is about to end.  Ohh wth is this ??? It is year 2020 according to maya calendar. Only 4 players are left in the game. Among 4 there is a boy of spiritual mind who has a vardaan of  being alive till 2030. Two are chamb friends and I am alone.  They are in search of me. I am als...